क्या एक बंद दरवाज़ा एक टीस दे जाएगा या एक नया रिश्ता बना देगा। सुनिए दीप्ति मित्तल जी द्वारा लिखी विजेता कहानी ‘खुले रखना दरवाज़े’ में |
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क्या एक बंद दरवाज़ा एक टीस दे जाएगा या एक नया रिश्ता बना देगा। सुनिए दीप्ति मित्तल जी द्वारा लिखी विजेता कहानी ‘खुले रखना दरवाज़े’ में |
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क्या पंचो का फैसला जुम्मन शेख और अलगू की दोस्ती को बदल पायेगा, सुनिए मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी पंच परमेश्वर में|
कैसे सवाल लाती हैं दूरियां माँ बाप और बच्चों के बीच में, सुनिए सूर्यबाला जी की लिखी खूबसूरत व संवेदनशील रचना ‘आखिरी विदा’ में | अंत में सूर्यबाला जी के साथ बातचीत के कुछ अंश भी |
क्या इस दशहरा हुई बुराई पर अच्छाई की जीत ? सुनिए संजीव जायसवाल ‘संजय’ जी की लिखी कहानी ‘मैं चुप नहीं रहूंगी’ में |
सुनिए क्या हुआ दो अजनबियों के बीच एक रेल यात्रा में , पल्लवी अमित की लिखी रचना ‘दो अजनबी’ में |
क्या अंकिता की लिखी अधूरी कविता पूरी हो पाएगी , सुनिए राजेंद्र श्रीवास्तव जी की लिखी ‘पूरी लिखी जा चुकी कविता’ में |
सुनिए डॉ किसलय पंचोली द्वारा लिखी ‘तुम देख रही हो ना’ और पाइये अपने आप को अपनों के कुछ और करीब |
क्या आज कल की डिजिटल दौड़ धूप में हम अपने बड़ों को कहीं भूल रहे हैं , सुनिए पूनम अहमद जी की लिखी रचना ‘ सॉरी माँ’ में |
एक दावत क्या नया मोड़ लाएगी एक माँ बेटे के रिश्ते में? सुनिए भीष्म सिंह साहनी की लिखी “चीफ़ की दावत” मे।