सुनिए दीप्ति मित्तल जी द्वारा लिखी ‘रेत पर खींची लकीर’|जिंदगी में हर किसी ने कभी ना कभी प्रेम को तीव्रता से महसूस किया है। प्रेम जिसे कभी न बदलने वाला, जन्मजन्मातंर का सच्चा, निर्स्वाथ, पवित्र रिश्ता कहा जाता है फिर क्यों वह किसी बाहरी कारण से ऐसे मिट जाता है जैसे रेत पर खींची लकीर एक लहर से मिट जाती है? क्या गुड़िया को अपना सच्चा प्यार मिल पायेगा?
