जाने अनजाने किसी को आंकने में हम कई बार गलती कर जाते हैं , क्या प्रबोध को ले कर ली ये सोच सुनंदा को असमंजस में डाल देगी , सुनिए राजेंद्र श्रीवास्तव की लिखी रचना ‘कलेजा’ में |

जाने अनजाने किसी को आंकने में हम कई बार गलती कर जाते हैं , क्या प्रबोध को ले कर ली ये सोच सुनंदा को असमंजस में डाल देगी , सुनिए राजेंद्र श्रीवास्तव की लिखी रचना ‘कलेजा’ में |