क्या बताएँगे दादा जी वक़्त या उसकी कीमत , सुनिए रोहन कानूनगो की लिखी बेहतरीन रचना ‘घड़ी वाले दादा’ में |
What’s special about today’s story?
The two eras defined in the story with comparison to time makes this story special. How things have emerged and chaged with time , listen to ‘Ghadi Waale dada’ story written with a different perspective by Rohan Kanungo.
About Author – Rohan Kanungo
रोहन कानूनगो ने कहानियां गढ़ना बचपन से ही शुरू कर दिया था। जब वो अपने स्कूल के दोस्तों का मनोरंजन फ्री पीरियड में अपनी कहानियों से करते थे। आजकल वो प्रोडक्ट मैनेजर कहलाते हैं पर कहानियों से उनका नाता अभी भी बना हुआ है। वो सक्रिय रूप से रंगमंच से भी जुड़े हैं। कई लघुआंकी और दीर्घांकी नाटक लिख चुके हैं। कभी कभार अभिनय भी कर लेते हैं। इकबाल की पंक्तियां — तू शाहीन है परवाज़ है काम तेरा, तेरे सामने आसमां और भी हैं — उन्हें जीवन में कुछ करते रहने की प्रेरणा देती रहती हैं।
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