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बोलती चिट्ठियाँ 

चिट्ठियाँ, आज कल के वक़्त में ये नाम सुन कर अजीब लगा या अपना सा लगा?
जहाँ कहानियों ने आपको पुराने दिनों से जोड़ा क्यों न आप और हम जुड़ जाएँ कुछ चिठियों के साथ भी ? वो पुरानी चिट्ठियाँ जो हैं आपके करीब आपके किसी बक्से में बंद, जिन्हे शायद आपने कभी किसी को भेजा नहीं या क्यों न उन्हें खोला जाए कहानी जानी अनजानी के संग| 

कहानी जानी अनजानी ले कर आये हैं ‘बोलती चिट्ठियाँ‘ जिसमें आप हमसे सांझा करेंगे वो चिठियाँ जो आपके दोस्त, जीवनसाथी,भाई,बहिन,माता या पिता ने आपको कभी लिखी हो, या आपने किसी को लिखी हो पर भेज ना पाए हों | हम पढ़ेंगे उन्हें ‘कहानी जानी अनजानी’ पर |तो चलिए जुड़ जाते हैं फिर उन प्यारे पलों को सहेजने हम मिल कर |